पर्यावरण सेवकों ने गौकथा में 5 दिनों तक गौभक्तों को पॉलिथीन मुक्त जीवन हेतु प्रेरित कर तांबें के लोटों से की जलसेवा, पर्यावरण स्टॉल से जल संरक्षण का संदेश देते हुए भोजन बचाओ अभियान के तहत गौभक्तों को बताया अन्न का महत्व.....
आयोजन

राजकुमार गोयल भीलवाड़ा
Updated : July 18, 2025 06:16 PM

भीलवाड़ा :- धोरीमन्ना क्षेत्र के भूणिया गांव में गौमाता सेवार्थ श्री कामधेनु गौशाला मे चली गौकथा में 5 दिनों तक निस्वार्थ भाव से गौमाता की सेवा के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण व मानव सुधार का संदेश देते हुए कोशिश पर्यावरण सेवक टीम सांचौरी-मालाणी के बैनर तले पर्यावरण सेवक गौभक्तों को प्लास्टिक बोतलों की जगह तांबे के लोटों से नि:शुल्क जलसेवा करते दिखे।टीम के सह-प्रभारी व कामधेनु सेना के जिलाध्यक्ष जगदीश प्रसाद विश्नोई ने दी कि कोशिश पर्यावरण सेवक टीम सांचौरी-मालाणी इस शर्त के साथ सेवा देने पहूंची कि गौशाला परिसर में सिंगल यूज प्लास्टिक कप-गिलास,पॉलिथीन, थर्माकोल की थालियों का इस्तेमाल नहीं होगा और स्वच्छता व भोजन बचाओ अभियान में टीम का सहयोग करना होगा तो टीम के सदस्य यानि पर्यावरण सेवक गौकथा स्थल को पर्यावरणमय बनाते हुए भव्य पर्यावरण प्रदर्शनी लगाकर पूरे वातावरण को प्रेरणादायी बनाएंगे साथ ही निःशुल्क जल सेवा के साथ-साथ भव्य पर्यावरण स्टॉल लगाकर गौभक्तों में जल संरक्षण का संदेश देते हुए नशा नहीं करने हेतु भी प्रेरित करेंगे।इस पर्यावरण सेवकों ने पांच दिन तक सेवा देते हुए गौभक्तों से पर्यावरण संरक्षण में सहयोग करने की अपील करते हुए गौशाला परिसर पौधारोपण भी किया और तख्तियों व बैनरों पर लिखे संदेशों के माध्यम से जागरूकता भी फैलाई व प्लास्टिक बोतलों की जगह तांबे के लोटों से जलसेवा की और भोजनशाला में अन्न का आदर हो भोजन को जूठा नहीं छोङे इसके लिए गौभक्तों को अन्न के महत्व से रूबरू कराते हुए भोजन को भगवान की प्रसादी मानकर खाने की अपील की जिसके कारण भोजन का बिल्कुल भी जूठा नहीं छोड़ा गया और भोजनशाला बिल्कुल साफ सुथरी नजर आयी।इस तरह पर्यावरण सेवकों की वजह से हजारों प्लास्टिक पानी की बोतलें इस्तेमाल होने से बची और सिंगल यूज प्लास्टिक कप-गिलास व थाली की जगह धातु व मिट्टी के बर्तन काम लिये गये जिसके कारण वातावरण साफ-सुथरा नजर आया। इसके अलावा पर्यावरण सेवकों ने पर्यावरण संरक्षण व मानव सुधार का संदेश देते हुए श्रद्धालुओं में सेवा का भार भी भरा।इस दौरान पर्यावरण सेवक लुम्बाराम चौधरी,धोलाराम कपासिया, किशनाराम बांगङवा, रामप्रताप खिचङ, जगदीश प्रसाद विश्नोई,गौभक्त ओमप्रकाश ढाका सहित कई पर्यावरण सेवकों ने पांच दिन तक निस्वार्थ से पर्यावरण व भोजन बचाने का संदेश दिया।