किसान नैनो डीएपी एवं नैनो यूरिया का करे प्रयोग....
कृषि

बंशीलाल धाकड़ राजपुरा
Updated : June 07, 2025 07:09 PM

निम्बाहेड़ा :- अरनोदा भारतीय जनता पार्टी के मंडल महामंत्री शैलेन्द्र पाटीदार ने किसानों को सलाह दी कि फसलों की लागत कम करने के साथ ही उत्पादन बढ़ाने के लिए सरकार द्वारा नैनो खाद-उर्वरक के प्रयोग को बढ़ावा दिया जा रहा है। मंडल अध्यक्ष किसान मोर्चा के मुताबिक नैनो उर्वरकों का फसलों पर सीधे प्रयोग करने से पर्यावरण को बिना नुकसान पहुंचाए पोषक तत्व प्राप्त होते हैं। नैनो उर्वरकों का उपयोग फसल की क्रांतिक अवस्थाओं में एक या दो बार छिड़काव करने से परम्परागत उर्वरकों के उपयोग में 50 प्रतिशत तक कटौती की जा सकती है।कृषि विभाग के सहायक कृषि अधिकारी संजय कुमार बाहेती व कृषि पर्यवेक्षक अजय कुमार यादव ने बताया कि नैनो यूरिया प्लस भारत सरकार द्वारा प्रमाणित विश्व का प्रथम स्वदेशी नैनो उर्वरक है। यह पूर्णतः हानि रहित एवं सुरक्षित उत्पाद है। नैनो यूरिया प्लस के प्रयोग से कीट एवं रोग का प्रभाव कम होता है। नैनो यूरिया प्लस में 20 प्रतिशत नाइट्रोजन होती है एवं इसकी उपयोग दक्षता 85 प्रतिशत से भी अधिक होती है। नैनो यूरिया प्लस की एक बोतल एक बोरी यूरिया के बराबर होती है अरनोदा ग्राम सेवा सहकारी समिति के अध्यक्ष रतन लाल गायरी व व्यवस्थापक हीरा लाल गायरी ने बताया कि किसानों को फसल पर दानेदार यूरिया की प्रथम टॉप ड्रेसिंग के बाद आवश्यकतानुसार नैनो यूरिया प्लस का दो से तीन बार छिड़काव करना चाहिए। नैनो यूरिया प्लस का उपयोग करने से वायु, जल एवं मृदा प्रदूषण में कमी आती है।भारतीय किसान संघ तहसील प्रमुख व प्रगतिशील कृषक सत्य नारायण शर्मा ने बताया कि किसानों को अनाज, दलहन एवं तिलहन फसलों पर नैनो यूरिया प्लस का पहला छिड़काव अंकुरण से 35-40 दिन बाद, दूसरा छिड़काव अंकुरण से 55-60 दिन बाद एवं तीसरा छिड़काव फसल विशेष में नाइट्रोजन की आवश्यकतानुसार नैनो डीएपी खाद का छिड़काव करना चाहिए नैनो डीएपी तरल में नाइट्रोजन 8 एवं फास्फोरस 16 प्रतिशत होता है तथा इसकी एक बॉटल एक बोरी डीएपी के बराबर होती है। नैनो डीएपी के कणों का आकार 100 नैनोमीटर से भी कम होता है। यह बीज एवं जड़ की सतह पत्तियों के स्टोमेटा तथा अन्य छिद्रों के माध्यम से पौधों में आसानी से प्रवेश कर जाते हैं, जिसके परिणामस्वरूप बीज की ओज शक्ति में वृद्धि, पत्तियों में क्लोरोफिल अधिक बनता है, फलस्वरूप प्रकाश संश्लेषण अधिक होता है तथा फसल की गुणवत्ता और उपज में वृद्धि होती है।नैनो डीएपी सभी फसलों में नाइट्रोजन एवं फास्फोरस प्रदाय करने का प्रभावी स्रोत है। अनुकूल परिस्थितियों में इसकी उपयोग दक्षता 90 प्रतिशत से अधिक है। बीज उपचार के रूप में जल्दी अंकुरण, पौध एवं फसल बढ़वार, उपज एवं फसल गुणवत्ता बढ़ाने में सहायक है। परम्परागत डीएपी से सस्ता होने के कारण यह किसानों के लिये किफायती है। यह जैव सुरक्षा एवं पर्यावरण हितैषी उत्पाद है। अतः विष मुक्त खेती के लिये उपयुक्त है।समिति के व्यवस्थापक हीरा लाल गायरी ने बताया कि नैनो डीएपी से बीज उपचार नैनो डीएपी से बीज उपचार करने के लिये 5 मिलीलीटर नैनो डीएपी का प्रयोग प्रति किलो बीज की दर से करें। नैनो डीएपी की 4 मिलीलीटर मात्रा प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर फसल में क्रांतिक अवस्था में कल्ले शाखा बनते समय छिड़काव करें। लंबी अवधि वाली या अधिक फास्फोरस की आवश्यकता वाली फसलों में फूल आने से पहले की अवस्था में एक अतिरिक्त छिड़काव किया जा सकता है।