मृत्यु शाश्वत सत्य है - चंद्र देव महाराज, राधा कृष्ण मंदिर में श्रीमद् भागवत कथा प्रवाहित....
धार्मिक

अर्जुन जयसवाल नीमच
Updated : May 19, 2025 09:19 PM

नीमच :- संसार में जो भी जन्मा है। उसकी एक न एक दिन मृत्यु अवश्य होती है। संसार में सदगुरु की शरण में रहते हुए जीते जी पुण्य कर्म करते रहना चाहिए ।मृत्यु का कोई भरोसा नहीं मृत्यु कब आ जाए।मृत्यु शाश्वत सत्य होती है।यह बात भागवत आचार्य पंडित चन्द्र देव महाराज (सोनियाना वाले )ने कही।वे श्री चंद्र वंशी ग्वाला गवली समाज के तत्वावधान में राधा कृष्ण मंदिर में तृतीय सामूहिक गंग भोज कार्यक्रमों की पावन उपलक्ष्य में स्व.मनीराम बिजोबाई दिवान की पावन स्मृति में आयोजित श्री मद् भागवत कथा में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि श्री कृष्ण दया प्रतीक है। श्री कृष्ण ने उत्तरा के गर्भ में भी शिशु की रक्षा की थी। मनुष्य का जैसा नाम हो वैसा काम भी होना चाहिए।मन को एकाग्र कर ध्यान पूर्वक कथा का श्रवण करें तो जीवन सफल हो सकता है। कलयुग में पाप बहुत बढ़ गया है इससे बचने के लिए भक्ति और तपस्या ही एकमात्र साधन है। कलयुग में संस्कार कम हो रहे हैं इसीलिए गौ माता पर अत्याचार बढ़ रहा है। अधिक धन संग्रह करते हैं तो हमारी गति अलग हो जाती है सद्गति नहीं होती है इसलिए समय-समय पर धन का दान कर धन को पवित्र करते रहना चाहिए। सच्चा पुत्र वही होता है जो पिता के हर कष्ट में अपने कर्तव्य का निर्वहन करने के लिए सजग रहता है। संसार में रहते हुए व्यक्ति को सदैव विनम्र रहना चाहिए क्योंकि अभिमान पतन का प्रमुख कारण होता है। मन को निर्मल करने के लिए परमात्मा की भक्ति और तपस्या करें तभी जीवन में कल्याण हो सकता है। विचारों का सही आदान-प्रदान नहीं होता है तभी विवाद और युद्ध होते हैं उनसे बचना चाहिए तभी हमारा विकास हो सकता है।
शरीर देह मात्र है। मंदिर में साक्षात दंडवत प्रणाम करना चाहिए तभी हमें आशीर्वाद मिल सकता है। 84 लाख योनि के बाद मनुष्य जन्म मिलता है विश्वास के साथ भक्ति और तपस्या करनी चाहिए तभी हमारे जीवन का कल्याण हो सकता है। परमात्मा को प्रतिदिन प्रणाम कर भोग लगाकर ही भोजन प्रसाद ग्रहण करना चाहिए। भक्ति तपस्या जब भी कर तो नियम के साथ करें। रघुपति राघव राजा राम पतित पावन सीता राम का सांसारीक अर्थ यही है कि जब कभी पति धर्म के मार्ग से भटक जाए तो पत्नी का कर्तव्य है कि उसे धर्म के मार्ग पर चलाएं इसीलिए लोग पत्नी को धर्मपत्नी कहते हैं।हरि अनंत हरि कथा अनन्त है। आरती के बाद प्रसाद वितरण किया गया।ये थे धार्मिक प्रसंग ...श्रीमद्भागवत कथा में पंडित चंद्र देव महाराज ने अत्रीमुनि, सतीअनुसुइया, लक्ष्मी जी, सरस्वती पूजा, उतानपाद, सनकादि ऋषि नारद, गौमाता, कपिल नारायण मुनि,सुतजी महाराज, द्रोपदी,उतरा, परिक्षित,पांडव, अभिमन्यु, कर्दम ऋषि की 9कन्या , नारद मुनि ,ब्रह्मांड, जय विजय, कश्यप ऋषि, दीति, दधीचि, राजा हरिश्चंद्र, विष्णु, हिरण्यकशिपु, हिरणक्श्,आदि धार्मिक विषयों के वर्तमान परिपेक्ष्य के महत्व पर प्रकाश डाला।श्रीमद् भागवत कथा पोथी पूजन आरती में रमेश चंद्र मुन्नी बाई दिवान परिवार व क्षेत्र के श्रद्धालुओं
सहित बड़ी संख्या में लोग उपस्थित थे।
शरीर देह मात्र है। मंदिर में साक्षात दंडवत प्रणाम करना चाहिए तभी हमें आशीर्वाद मिल सकता है। 84 लाख योनि के बाद मनुष्य जन्म मिलता है विश्वास के साथ भक्ति और तपस्या करनी चाहिए तभी हमारे जीवन का कल्याण हो सकता है। परमात्मा को प्रतिदिन प्रणाम कर भोग लगाकर ही भोजन प्रसाद ग्रहण करना चाहिए। भक्ति तपस्या जब भी कर तो नियम के साथ करें। रघुपति राघव राजा राम पतित पावन सीता राम का सांसारीक अर्थ यही है कि जब कभी पति धर्म के मार्ग से भटक जाए तो पत्नी का कर्तव्य है कि उसे धर्म के मार्ग पर चलाएं इसीलिए लोग पत्नी को धर्मपत्नी कहते हैं।हरि अनंत हरि कथा अनन्त है। आरती के बाद प्रसाद वितरण किया गया।ये थे धार्मिक प्रसंग ...श्रीमद्भागवत कथा में पंडित चंद्र देव महाराज ने अत्रीमुनि, सतीअनुसुइया, लक्ष्मी जी, सरस्वती पूजा, उतानपाद, सनकादि ऋषि नारद, गौमाता, कपिल नारायण मुनि,सुतजी महाराज, द्रोपदी,उतरा, परिक्षित,पांडव, अभिमन्यु, कर्दम ऋषि की 9कन्या , नारद मुनि ,ब्रह्मांड, जय विजय, कश्यप ऋषि, दीति, दधीचि, राजा हरिश्चंद्र, विष्णु, हिरण्यकशिपु, हिरणक्श्,आदि धार्मिक विषयों के वर्तमान परिपेक्ष्य के महत्व पर प्रकाश डाला।श्रीमद् भागवत कथा पोथी पूजन आरती में रमेश चंद्र मुन्नी बाई दिवान परिवार व क्षेत्र के श्रद्धालुओं
सहित बड़ी संख्या में लोग उपस्थित थे।