जीरन नगर में हुआ साध्वी वर्या विपुल प्रज्ञा श्रीजी आदि ठाणा तीन का ऐतिहासिक चातुर्मास प्रवेश...
धार्मिक

विनोद सांवला जीरन हरवार
Updated : July 07, 2025 10:30 PM

जीरन :- नगर में 7 जुलाई का दिन एक ऐसा शुभ अवसर आया जिसने जीरन नगर को धर्म, संस्कृति और भक्ति के रंगों में रंग दिया, साध्वी वर्या विपुल प्रज्ञा श्रीजी महाराज साहब आदि ठाणा तीन का जीरन नगर में हुआ भव्य चातुर्मास मंगल प्रवेश, उमड़ा भक्ति का सैलाब, जीरन नगर ने वो दृश्य देखा जो वर्षों तक याद रहेगा। साध्वी वर्या विपुल प्रज्ञा श्रीजी महाराज साहब आदि ठाणा तीन का चातुर्मास प्रवेश बड़े ही भाव और भव्यता के साथ सम्पन्न हुआ। सुबह की शुरुआत नवकारसी से हुई - स्थान: स्वर्गीय माधवलाल जी मेहता परिवार का निवास। इसके पश्चात नगर में निकली शोभायात्रा - ढोल-नगाड़े, बैंड बाजे, और सैकड़ों श्रद्धालुओं के साथ गुरु भगवंत का नगर प्रवेश। बस स्टैंड चौराहे पर अन्य समाज जनों द्वारा पुष्पवर्षा की। महिला मंडल की राष्ट्रभक्ति से ओतप्रोत प्रस्तुतियां, जैन संस्कृति की झांकियां, बालिकाएं पारंपरिक परिधानों में आकर्षक प्रस्तुतियां देती हुईं - इन सबके बीच नगर बना धर्म का एक जीवंत चित्र। और जब नगर में यूं भक्ति की नदियां बह रही थीं, तब ये एहसास शब्दों में यूं ढल गया जब गुरु चरण नगर में पड़ते हैं, तो पापों के रास्ते खुद-ब-खुद मुड़ते हैं। हर द्वार पर धर्म का दीप जले, ऐसा चातुर्मास सबका जीवन बदले। यह केवल एक आयोजन नहीं था ये एक धार्मिक क्रांति का दृश्य था, जिसमें हर आत्मा श्रद्धा से सराबोर हो गई। जैसे ही साध्वी श्रीजी उपाश्रय पहुंचीं, वातावरण धर्मसभा में बदल गया। साध्वी वर्या विपुल प्रज्ञा श्रीजी ने चातुर्मास की परंपरा, उसका महत्व और संयम-ध्यान के मूल्यों को विस्तार से समझाया।
उन्होंने कहा - जहां तप और त्याग होता है, वहीं सच्चे धर्म का वास होता है। उन्होंने जीरन-हरवार जैनश्री संघ की सेवाभावना और समर्पण की विशेष सराहना की। संघों की उपस्थिति – संगठित समाज का परिचय. इस भव्य प्रवेश में अनेक स्थानों से जैन समाज के लोग शामिल हुए - उदयपुर, भाचुंडा, जावरा, नारायणगढ़, निंबाहेड़ा, इंदौर, प्रतापगढ़, कुचडोद, सालमगढ़, उज्जैन, नीमच, अवलेश्वर, बोरी, दलोदा, जमुनिया कला, चीता खेड़ा, हरनावदा और… हरवार श्री संघ। ये सहभागिता इस आयोजन को एक सांस्कृतिक संगम बना गई। इस अवसर पर सधार्मिक वात्सल्य का सौभाग्य प्राप्त हुआ स्वर्गीय नाथूलाल जी मारू परिवार को। सैकड़ों श्रद्धालुओं ने एक साथ धर्मभोजन ग्रहण किया। आज का दिन केवल तारीख नहीं था - ये दिन था जब धर्म नगर में उतरा, और समाज उसकी छाया में अभिभूत हो गया। चातुर्मास की इस शुरुआत ने संदेश दिया - कि जब संघ एकजुट होता है, तब धर्म जीवंत हो उठता है आइए, मिलकर करें जयकार - साध्वी श्रीजी महाराज साहब की… जय हो! जैन धर्म की… जय हो।
उन्होंने कहा - जहां तप और त्याग होता है, वहीं सच्चे धर्म का वास होता है। उन्होंने जीरन-हरवार जैनश्री संघ की सेवाभावना और समर्पण की विशेष सराहना की। संघों की उपस्थिति – संगठित समाज का परिचय. इस भव्य प्रवेश में अनेक स्थानों से जैन समाज के लोग शामिल हुए - उदयपुर, भाचुंडा, जावरा, नारायणगढ़, निंबाहेड़ा, इंदौर, प्रतापगढ़, कुचडोद, सालमगढ़, उज्जैन, नीमच, अवलेश्वर, बोरी, दलोदा, जमुनिया कला, चीता खेड़ा, हरनावदा और… हरवार श्री संघ। ये सहभागिता इस आयोजन को एक सांस्कृतिक संगम बना गई। इस अवसर पर सधार्मिक वात्सल्य का सौभाग्य प्राप्त हुआ स्वर्गीय नाथूलाल जी मारू परिवार को। सैकड़ों श्रद्धालुओं ने एक साथ धर्मभोजन ग्रहण किया। आज का दिन केवल तारीख नहीं था - ये दिन था जब धर्म नगर में उतरा, और समाज उसकी छाया में अभिभूत हो गया। चातुर्मास की इस शुरुआत ने संदेश दिया - कि जब संघ एकजुट होता है, तब धर्म जीवंत हो उठता है आइए, मिलकर करें जयकार - साध्वी श्रीजी महाराज साहब की… जय हो! जैन धर्म की… जय हो।