केश लोचन अंतर आत्मा की पहचान - आचार्य वर्धमान सागर जी महाराज, वात्सल्य वारिधि 108आचार्य वर्धमान सागर जी संघ का 36पिछी के साथ एतिहासिक धर्म अमृत प्रवचन श्रृंखला प्रवाहित....
धार्मिक

अर्जुन जयसवाल नीमच
Updated : May 01, 2025 05:00 PM

नीमच :- आत्मा और शरीर दोनों अलग-अलग होते हैं।भेद विज्ञान को जाने बिना केस लोचन पूर्ण नहीं होता है कैस लोचन अंतरात्मा की पहचान होती है। सम्यक दृष्टि।नर से नारायण बनने का मार्ग प्रशस्त करती है। यह बात आचार्य वर्धमान सागर जी महाराज ने कही ।वे दिगंबर जैन समाज भवन सभागार में आयोजित अमृत प्रवचन श्रृंखला में बोल रहे थे ।उन्होंने कहा कि ज्ञान अनुभव में आना चाहिए। तभी वह लाभ कारी होता है। आत्मा का ज्ञान होने पर शरीर का मोह नहीं रखना चाहिए। अपनी आत्मा का भंजन करना चाहिए तभी गुरु आज्ञा का पालन कल्याणकारी होता है। जीवन में प्रतिदिन 5 मिनट का स्वाध्याय करना चाहिए। तभी आत्मा का कल्याण हो सकता है। केशलोचन अहिंसा का प्रतीक है।।मुमुक्ष महाराज साहब ने कहा कि आत्म धर्म सत्य धर्म परलक्षित होगा। संत वोट ,नोट, सपोर्ट नहीं सामाजिक बुराई मांगते हैं।आचार्य वर्धमान सागर जी महाराज का केशलोंच हुआ, -धर्म सभा में दिगंबर जैन समाज मंदिर के धार्मिक चढ़ावे की विभिन्न बोलियों आयोजित की गई जिसमें समाज जनों ने उत्साह के साथ भाग लिया। इस अवसर पर मनमोहक नृत्य द्वारा मंगलाचरण अनाया कासलीवाल ने प्रस्तुत किया। मुनि श्री को शशि विजय विनायका जैन ब्रोकर्स द्वारा प्रदान कर आशीर्वाद ग्रहण किया गया। समाज के वरिष्ठ पदाधिकारीयों द्वारा मुनि श्री को श्रीफल अर्पित का आशीर्वाद ग्रहण किया गया।कार्यक्रम का शुभारंभ आचार्य शांति सागर जी महाराज के चित्र पर दीप प्रज्वलित एवं माल्यार्पण कर सीकर और भीलवाड़ा से पधारे श्रावकों ने किया।दिगंबर जैन समाज के अध्यक्ष विजय विनायका जैन ब्रोकर्स , महिला मंडल एवं समाज के सभी अनुसांगिक संगठनों के पदाधिकारीयों एवंअतिथियों द्वारा किया गया।धर्म सभा का संचालन अजय कासलीवाल ने किया। उत्साह दिखाया समाजजनों ने 20वीं सदी के प्रथमाचार्य चारित्र चक्रवर्ती शांति सागर जी महाराज के पंचम पट्टाधीश वात्सल्य वारिधि 108 आचार्य श्री वर्धमान सागर जी महाराज ससंघ (36) पीछी के साथ नीमच की लाल माटी पर सुबह 8बजे दिगम्बर जैन मांगलिक भवन में प्रतिदिन अमृत प्रवचन श्रृंखला प्रवाहित हो रही है।