गृह वाटिका प्रबंधन पर प्रशिक्षण का आयोजन....
आयोजन

बंशीलाल धाकड़ राजपुरा
Updated : March 12, 2025 09:00 PM

चित्तौड़गढ़, अनूसूचित जाति उप योजना कृषि शिक्षा प्रभाग भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली द्वारा पोषित अनुसंधान निदेशालय, महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर प्रायोजित एवं कृषि विज्ञान केन्द्र चित्तौडगढ द्वारा आयोजित गृह वाटिका प्रबंधन पर तीन दिवसीय कृषक प्रशिक्षण आयोजित किया गया। जिसमें चित्तौड़गढ़ पंचायत समिति क्षेत्र के सिरंडी, गोपालनगर, मानपुरा आदि गांवो से 40 अनूसूचित जाति कृषक एवं कृषक महिलाओं ने भाग लिया। वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष डॉ. रतनलाल सोलंकी, कृषि विज्ञान केन्द्र, चित्तौड़गढ़ ने केविके की गतिविधियो एवं योजना के उदेश्यो एवं लाभ से अवगत कराते हुए किसानों कों बताया कि भूमि सुधार हेतु जिप्सम प्रयोग व हरी खाद का महत्व, मृदा स्वास्थ्य हेतु जैविक खादों का प्रयोग, वर्मी कम्पोस्ट बनाने की विभिन्न विधियां व जैविक खाद वर्मीवाश तैयार करने की प्रायोगिक जानकारी दी। वर्मी कम्पोस्ट यूनिट में कृषक महिलाओं को तैयार खाद व केचुएं अलग करना तथा बेड़ तैयार करने का तरीका समझाया। मृदा स्वास्थ्य कार्ड का महत्व एवं उपयोगिता समझाई व कार्ड की सिफारिश अनुसार खाद एवं उर्वरक उपयोग करने की सलाह दी एवं आवश्यक पोषक तत्वों की जानकारी, पौधों पर पोषक तत्त्व की कमी के लक्षण एवं कमी को पूरा करने के उपाय के साथ ही मिट्टी के स्वास्थ्य की जांच हेतु मिट्टी नमुना लेने की विधी बताई। डॉ. शंकर लाल जाट, उप निदेशक, उद्यान, चित्तौड़गढ़ ने गृह वाटिका में सब्जियो का महत्व एवं उद्यान विभाग द्वारा दिये जाने वाले अनुदान एवं योजनाओ के बारे में विस्तृत रूप से बताया। श्री ओ.पी. शर्मा, उपनिदेशक, आई.पीए. एम., चित्तौड़गढ़ ने जैविक विधि से सब्जियो का उपत्पादन तकनीकी पर विस्तार से बताया। श्री ज्योति सिरोया, कृषि अधिकारी, कृषि विभाग, चित्तौड़गढ़ ने पोषण वाटिका में सब्जियों की खेती पर उर्वरक प्रबंधन के बारे में बताया। श्री दिनेश चौधरीी, सहाये कृषि अधिकारी, कृषि विभाग, चित्तौड़गढ़ ने पोषाहार वाटिका में पोषक तत्व प्रबंधन व मिटटी का स्वास्थ्य पर तकनीकी जानकारी दी। श्रीमती दीपा इन्दौरिया, कार्यकम सहायक ने गृह वाटिका का रेखाकंन तथा दैनिक आहार/थाली में संतुलित अनाज, सब्जी एवं फल उत्पादन की उन्नत तकनीकी एवं जैविक खादो के उपयोग के बारे में हेतु उन्नत तकनीकी की जानकारी दी। साथ ही प्रशिक्षण में भाग लेने वाली महिला कृषको को पोषाहार वाटिका विकसित करने हेतु महिलाओं को मिर्च, करेला, तुरई, टमाटर, बैंगन आदि की पौध एवं बीज के पैकेट भी उपलब्ध कराये एवं कृषि साहित्य के रूप् में कृषि कलेन्डर वितरण किये गये। श्री संजय कुमार धाकड़, कार्यक्रम सहायक ने पोषाहार वाटिका में खरपतवार नियंत्रण व निराई गुड़ाई के महत्व पर प्रकाश डाला। अंत में केन्द्र के कार्यक्रम सहायक दीपा इन्दौरिया, ने प्रशिक्षण में उपस्थित अनूसूचित जाति कृषक एवं कृषक महिलाओं को धन्यवाद अर्पित किया।