ट्रांसफर आदेश के एक महीने बाद स्टे अवधि निकल जाने पर भी अंगद की तरह पैर जमाए हुए हैं, जाट वन परिक्षेत्र के डिप्टी रेंजर सोलंकी, शासन के आदेशो के बाद भी आखिर क्यों नहीं किया जा रहा है, रिलीव....
प्रशासनिक

सत्यनारायण सुथार
Updated : August 07, 2025 07:56 AM

जाट :- मध्यप्रदेश शासन द्वारा समय-समय पर लंबे समय से एक ही जगह पदस्थ रहे अधिकारियों की स्थानांतरण लिस्ट तो जारी की जाती है। जिसमें अधिकांश कर्मचारी तो स्थानांतरण होने के बाद अपने नवीन कार्यालय पर नियमानुसार तुरंत जॉइनिंग कर लेते हैं। लेकिन कुछ कर्मचारी शासकीय आदेशो को सिर्फ कागज का रद्दी का टुकड़ा समझकर वर्षों तक एक ही जगह जमे रहते हैं।एक ऐसा ही मामला जावद रेंज के जाट वन परिक्षेत्र का सामने आया है।जिसमें गत माह हुए वन विभाग में ट्रांसफर आदेश के बाद भी जाट वन परिक्षेत्र के डिप्टी रेंजर का जाट से नहीं हो पा रहा है, मोह भंग,l नीमच वन मंडलाधिकारी एस.के. अटोदे द्वारा 10 जून को एक ट्रांसफर आदेश जारी किया गया।जिसमें जाट वन परीक्षेत्र के डिप्टी रेंजर अमरचंद सोलंकी का स्थानांतरण बैंसला वन परिक्षेत्र रामपुरा में किया गया।ज्ञात रहे की पूर्व में भी डिप्टी रेंजर सोलंकी की कई बार गंभीर शिकायते हो चुकी है।वहीं पूर्व में खंडवा में पदस्थ रहते हुए भी इनके ऊपर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों के चलते कुछ समय के लिए घर बिठा दिया गया था। आपको बता दे की आदेश में स्पष्ट शब्दों में लिखा हुआ है। कि यह स्थानांतरण आदेश तत्काल प्रभाव से लागू रहेगा।लेकिन जाट वन परिक्षेत्र के लिए यह आदेश सिर्फ एक कागज का टुकड़ा बनकर रह गया।क्योंकी शासन के स्थानांतरण आदेशों के तुरंत बाद इनके द्वारा स्टे लाया गया था।लेकिन अब स्टे अवधि बित जाने के बाद भी अभी तक जाट से डिप्टी रेंजर को रिलीव क्यो नहीं किया जा रहा है। इस संबंध में रेंजर विपुल प्रभात करोरिया से चर्चा करने पर उन्होंने बताया कि
कोर्ट के स्टे आर्डर की समय सीमा मे अभ्यावेदन देना था।जो उन्होने दे दिया।अब 30 दिन के भीतर डिएफओ साहब जो भी एक्शन लेगें उनकों मान्य करना होगा।इस सम्बंध में डिएफओ एस.के.अटोदे से चर्चा करने पर उन्होंने बताया कि शासकिय प्रक्रिया चल रही है।शिघ्र ही प्रक्रिया पूरी होते ही एक्शन लिया जाएगा।अब देखना यह है।स्टे अवधि समाप्त हो जाने के बाद स्थानांतरण आदेश के एक महीने से भी अधिक बीत जाने के बाद भी सरकार के आदेशों की पालना होती है।या फिर यह सिर्फ आदेश ही बनकर रह जाता है।
कोर्ट के स्टे आर्डर की समय सीमा मे अभ्यावेदन देना था।जो उन्होने दे दिया।अब 30 दिन के भीतर डिएफओ साहब जो भी एक्शन लेगें उनकों मान्य करना होगा।इस सम्बंध में डिएफओ एस.के.अटोदे से चर्चा करने पर उन्होंने बताया कि शासकिय प्रक्रिया चल रही है।शिघ्र ही प्रक्रिया पूरी होते ही एक्शन लिया जाएगा।अब देखना यह है।स्टे अवधि समाप्त हो जाने के बाद स्थानांतरण आदेश के एक महीने से भी अधिक बीत जाने के बाद भी सरकार के आदेशों की पालना होती है।या फिर यह सिर्फ आदेश ही बनकर रह जाता है।