चीताखेड़ा पंचायत में बैठे गूंगे-बहरे और अंधे जनप्रतिनिधियों को आमजन समस्याओं से कोई सरोकार नहीं, जनता परेशान हैं....
सामाजिक

दशरथ माली चिताखेड़ा
Updated : May 15, 2025 10:17 AM

चीताखेड़ा :- गूंगे-बहरे और अंधे जनप्रतिनिधियों की चीताखेड़ा ग्राम पंचायत बनी हुई है। चीताखेड़ा पंचायत में शुरू से लेकर अभी तक वर्तमान में बैठे जनप्रतिनिधि सबसे निष्क्रिय जनविरोधी साबित हुए हैं। इस पंचायत में इतने निष्क्रिय जनप्रतिनिधि कभी देखें। आमजन समस्याओं से इन्हें कोई सरोकार नहीं है, पंचायत स्तर की कई जनसमस्याएं मुंह बाएं खड़ी है। पंचायत में बैठे जनप्रतिनिधि जनसमस्याओं का समाधान करने के बजाए निष्ठूर,बेशर्म होकर मूकदर्शक बने हुए हैं। न तो स्वच्छता और ना ही पीने का पानी स्वच्छ पीने का पानी भी गंदा मटमैला बदबूदार नलों से आ रहा है, और ना ही जनहित में कोई कार्य किया जा रहा है। यहां तक कि मूत्रालय में भी भयंकर कचरा फैला हुआ है। पंचायत में बैठे जनप्रतिनिधि सिर्फ अपने कार्यकाल का समय व्यतीत कर रहे हैं। इन दिनों गांव में नल जल योजना के तहत गांव की हर गली-मोहल्ले में पाइप लाइन डालने हेतु जेसीबी मशीन से खोदकर पाइप लाइन तो डाल दी पर नल-जल योजना ठेकेदार द्वारा रिपेयरिंग तक नहीं किया गया, थोड़े बहुत पैदल चलने जैसे मार्ग थे वह भी खोदकर आवागमन ही अवरुद्ध कर दिया गया है। सालभर पहले से खोदे गए मार्ग को अभी तक सुधारा तक नहीं गया है। न तो नल-जल योजना का ठेकेदार और ना ही ग्राम पंचायत इस ओर ध्यान दें रही है। पंचायत रास्ते को वैकल्पिक व्यवस्था भी करने में असफल साबित हो रही है। बारिश का मौसम शुरू होने वाला है। कई जगह मार्ग अवरूद्ध होने के कारण आम रास्तों में पानी - किचड़ भरा रहने से आवागमन में भारी समस्या पैदा हो गई है , कई जगह पाइप लाइन टूट फट जाने से पेयजल आपूर्ति के दौरान नाली गटरों में बहने वाली गंदगी नलों में आ रही है। वहीं दूसरी ओर ज्यादा समस्या रात होते ही विकराल रूप धारण कर लेती है क्योंकि स्टेट लाइट खंबों पर बल्ब ओर ना वेपरलेंप न ही ट्युबलाईट है अंधेरे में मार्ग से गुजरने वाले राहगीर किचड़ से लथपथ हो रहे हैं। कई बार पंचायत में बैठे जवाबदारों को समस्या से अवगत कराया गया लेकिन गूंगे-बहरे और अंधे की तरह न तो सून रहे ओर ना ही मौके पर देखने जा रहे ओर ना ही कुछ बोल रहे हैं। गांव में चारों ओर गंदगी के ढेर लगे हुए हैं, मच्छरों की भरमार हो रही है किचड़ भरा रहने के चलते भयंकर बदबू मार रहे हैं। रहवासियों का जीना दुश्वार हो गया है। पंचायत में बैठे जनप्रतिनिधि चुनाव में जीत जाने के बाद शपथ ग्रहण समारोह के दौरान शपथग्रहण में ली गई शपथ से भी मुकर कर अपने नैतिक कर्तव्यों को भुल गए हैं। गांव के नागरिक छोटे मोटे प्रमाण पत्र पर हस्ताक्षर के लिए भी सरपंच महोदया के चक्कर लगाते रहते हैं समय पर प्रमाण पत्र भी उपलब्ध नहीं हो रहा है। पंचायत में बैठे जनप्रतिनिधि अगर जनहित में कार्य नहीं कर सकते हैं तो उन्हें नैतिकता के आधार पर पद से त्यागपत्र दे देना चाहिए।