स्वाद के त्याग बिना तपस्या सार्थक नहीं होती है - आचार्य प्रशमेशप्रभ, आचार्य भगवंत के प्रवचन प्रवाहित....
धार्मिक

अर्जुन जयसवाल नीमच
Updated : July 13, 2025 04:59 PM

नीमच :- आहार मोह के त्याग बिना आत्मा के कल्याण नहीं होता है। स्वाद के मोह को मिटाने के लिए तपस्या होती है।
स्वाद के त्याग बिना तपस्या सार्थक नहीं होती है। तपस्या प्रतिकूलता में भी अनुकूलता का संदेश सिखाती है। यह बात आचार्य प्रशमेश प्रभ ने कही। वे श्री जैन श्वेतांबर भीड भंजन मंदिर मंडल ट्रस्ट पुस्तक बाजार नीमच के तत्वाधान में जैन भवन मेंआयोजित चातुर्मास अमृत प्रवचन श्रृंखला की धर्म सभा में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि तपस्या के मध्य हमें जैसा आहार मिले हमें उसी में संतुष्ट रहना चाहिए। अलग से किसी भी प्रकार का आहार के प्रति मोह नहीं रखना चाहिए तभी हमारी तपस्या सफल हो सकती है। जीवन में यदि नम्रता आएगी तो ही हमें परमात्मा मिलेंगे। मंदिर दर्शन को जाए तो पंखे का मोह छोड़ देना चाहिए। ज्ञान और समझ में अंतर होता है ।हित विवेक का नहीं तो वह अज्ञानी होता है। आयम्बिल तप सबसे छोटा होता है। रात्रि भोजन नरक का द्वार होता है। इसलिए जीवन में रात्रि भोजन से सदैव बचने का प्रयास करना चाहिए।आचार्य भगवंत श्री विजय प्रशमेश प्रभ सूरीश्वरजी मसा एवं मुनिराज श्री नीति प्रभ विजयजी मसा आदि ठाणा 2 एवं साध्वी जी श्री श्रुतवर्धना श्रीजी मसा एवं साध्वी जी श्री विरति प्रिया श्रीजी मसा आदि ठाणा 9 का का चातुर्मास में सानिध्य प्राप्त हो रहा है ।आचार्य श्री के प्रवचन जैन भवन में सुबह 9 बजे होंगे , । इस अवसर पर वरिष्ठ श्री संघ पदाधिकारियों सहित बड़ी संख्या में समाज जन उपस्थित थे। ।श्री भीड़ भंजन श्रीसंघ में चातुर्मास के लिए पधारे आचार्य भगवंत नुतन आराधना भवन पर विराजित पूज्य आचार्य भगवंत एवं साध्वी जी मसा के प्रवचन में समय पर पधारकर दर्शन वंदन का धर्म पुण्य लाभ लेवें.
स्वाद के त्याग बिना तपस्या सार्थक नहीं होती है। तपस्या प्रतिकूलता में भी अनुकूलता का संदेश सिखाती है। यह बात आचार्य प्रशमेश प्रभ ने कही। वे श्री जैन श्वेतांबर भीड भंजन मंदिर मंडल ट्रस्ट पुस्तक बाजार नीमच के तत्वाधान में जैन भवन मेंआयोजित चातुर्मास अमृत प्रवचन श्रृंखला की धर्म सभा में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि तपस्या के मध्य हमें जैसा आहार मिले हमें उसी में संतुष्ट रहना चाहिए। अलग से किसी भी प्रकार का आहार के प्रति मोह नहीं रखना चाहिए तभी हमारी तपस्या सफल हो सकती है। जीवन में यदि नम्रता आएगी तो ही हमें परमात्मा मिलेंगे। मंदिर दर्शन को जाए तो पंखे का मोह छोड़ देना चाहिए। ज्ञान और समझ में अंतर होता है ।हित विवेक का नहीं तो वह अज्ञानी होता है। आयम्बिल तप सबसे छोटा होता है। रात्रि भोजन नरक का द्वार होता है। इसलिए जीवन में रात्रि भोजन से सदैव बचने का प्रयास करना चाहिए।आचार्य भगवंत श्री विजय प्रशमेश प्रभ सूरीश्वरजी मसा एवं मुनिराज श्री नीति प्रभ विजयजी मसा आदि ठाणा 2 एवं साध्वी जी श्री श्रुतवर्धना श्रीजी मसा एवं साध्वी जी श्री विरति प्रिया श्रीजी मसा आदि ठाणा 9 का का चातुर्मास में सानिध्य प्राप्त हो रहा है ।आचार्य श्री के प्रवचन जैन भवन में सुबह 9 बजे होंगे , । इस अवसर पर वरिष्ठ श्री संघ पदाधिकारियों सहित बड़ी संख्या में समाज जन उपस्थित थे। ।श्री भीड़ भंजन श्रीसंघ में चातुर्मास के लिए पधारे आचार्य भगवंत नुतन आराधना भवन पर विराजित पूज्य आचार्य भगवंत एवं साध्वी जी मसा के प्रवचन में समय पर पधारकर दर्शन वंदन का धर्म पुण्य लाभ लेवें.