शिव महापुराण कथा भगवान शिव का वांग्मय स्वरूप है-गुरु रुद्रदेव त्रिपाठी, 27 दिवसीय शिव महापुराण एवं पार्थिव शिवलिंग पूजन अभिषेक एवं रुद्राक्ष वितरण कार्यक्रम प्रवाहित....
धार्मिक

अर्जुन जयसवाल नीमच
Updated : July 13, 2025 05:02 PM

नीमच :- शिव महापुराण शिव महापुराण कथा श्रवण करने से जीवन में क्रांतिकारी परिवर्तन होते हैं। जीवन की हर समस्या का समाधान शिव पुराण श्रवण करने से होता है। शिव महापुराण के श्रवण करने से कष्ट का संहार होता है।शिव महापुराण की कथा भगवान शिव का वांग्मय स्वरूप है।
यह बात गुरुदेव रुद्रदेव त्रिपाठी (जावद वाले) ने कहीं।वे श्री हरि सत्संग मंडल एवं भक्तगण के तत्वाधान में गोमाबाई रोड स्थित लायन्स डेन सभागार में 11 जुलाई से 6 अगस्त तक आयोजित 27 दिवसीय संगीतमय श्री शिव महापुराण कथा एवं पर्वतीय शिवलिंग पूजन अभिषेक एवं रुद्राक्ष वितरण कार्यक्रम में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि धरती पर कण-कण में कंकर कंकर शंकर है। नारायण नाग सर्प बनकर शंकर भगवान के गले में आए हैं ताकि उनके पैर शंकर भगवान को नहीं लगे, भगवान नारायण के मंदिर नगर के मध्य स्थापित होते हैं। शंकर भगवान की दृष्टि मात्र से ही कल्याण हो सकता है। मंदिर के गर्भ ग्रह में शुद्ध और पवित्र होने के बाद ही दर्शन और पूजा करने जा सकते हैं। मंदिर की पवित्रता बनाए रखना आवश्यक है। शंकर भगवान संहार में भी संदेश देते हैं। शंकर भगवान शमशान के वासी है। श्मशान की चीता की भस्म शंकर भगवान लगाते हैं। शंकर भगवान के भक्त को 4 व्यक्ति उठाकर लाते हैं। शंकर भगवान काशी में मुर्दे को भी मुक्ति प्रदान कर देते हैं। भगवान के स्पर्श से ही जीव का कल्याण हो जाता है। शिव महापुराण कथा श्रवण करने के विभिन्न विधान होते हैं। कथा श्रवण करते समय मस्तक पर पगड़ी नहीं होनी चाहिए। शिव महापुराण भगवान का वांग्मय स्वरूप है। बिना प्रणाम किये कथा श्रवण नहीं करना चाहिए। कथा में विध्न उत्पन्न करने वाले सूअर की योनि में जन्म लेते हैं। धर्म का शुभारंभ गंगा जमुना सरस्वती के त्रिवेणी संगम प्रयागराज से हुआ है। गंगा को अध्यात्म में ज्ञान, यमुना में भक्ति हिलोरें लेती है, सरस्वती को अध्यात्म में बुद्धि की संज्ञा दी गई है। ज्ञान बुद्धि और भक्ति का संगम होता है वहां त्रिवेणी प्रयागराज होता है। प्राचीन महापुराण शिव पुराण में 1लाख श्लोक समाहित है। इसमें मात्र एकादश, कैलाश, रुद्रिय शताब्दी रुद्र सहस्त्र, कोटिरुद्र,सहस्त्र कोठी, वायवी संहिता व धर्म संहिता सहित 12 संहिता होती है। 24हजार श्लोक विद्यमान है। गौ माता गोमूत्र पवित्र होता है। सत्य परेशान हो सकता है लेकिन पराजित नहीं होता है। ब्रह्मा का मस्तक बद्रीनाथ में गिरा इसलिए ब्रह्म कपाल कहते हैं। पितृ दोष का निवारण वहां आज भी होता है। ब्राह्मण हवन करें अग्नि देव गुरु शिष्य पति पत्नी के मध्य में नहीं निकलना चाहिए। यदि निकलते हैं तो हमारे पुण्य नष्ट हो जाते हैं। शंकर भगवान के आशीर्वाद से ही नारायण ने 24 अवतार लिए हैं।पुरे विश्व में ब्रह्मा जी का एक ही मंदिर पुष्कर तीर्थ में पुजन होता है। पांचवा कर्म मोक्ष शंकर भगवान के पास ही रहता है जो उनकी भक्ति से प्राप्त होता है। ओम शब्द का जाप करने से अनेक रोग ठीक हो जाते हैं। वेद पुराण और शास्त्रों में लिखे उपदेशों का जीवन में आत्मसात करें तो आत्मा का कल्याण हो जाता है।
कथा में विभिन्न भजन प्रस्तुत किए गए जिस पर श्रद्धालुओं ने भक्ति नृत्य किया।शिव महापुराण पोथी पूजन आरती में
बीएल धनोतिया, मुकेश पोरवाल ,डॉक्टर दीपक सिंहल, दिलिप दुबे, शांतिलाल गुप्ता, प्रकाश मंडवारिया, दिनेश लढा,
जगदीश माहेश्वरी, विजय जोशी, योगेश ओझा, कमल उपाध्याय, गोपाल व्यास ,एनके सोनार , रामनिवास कदवा, मधु शर्मा, मीना धनोतिया, चंद्रकांता दानगढ़ ,जगदीश व्यास, अरविंद व्यास, सत्यनारायण माहेश्वरी, मातृशक्ति पुरुष आदि बड़ी संख्या में श्रद्धालु भक्त उपस्थित थे। आरती के बाद प्रसाद वितरण किया गया। कार्यक्रम की श्रृंखला में सुबह 8 से 8:30 बजे तक वेद पाठ, 9 से 10 बजे तक हवन ,दोपहर 1 से 3 बजे शिव पुराण कथा, 3 से 4:30 बजे तक 27हजार रुद्राक्ष शिवलिंग पूजन अभिषेक, सोमवार नागपंचमी, प्रदोष, हरियाली अमावस्या पर पार्थिव पूजन अभिषेक,सवालाख महामृत्युंजय मंत्र जाप, काल सर्प पूजन हवन शांति सहित विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान आयोजित किए जा रहे हैं।
यह बात गुरुदेव रुद्रदेव त्रिपाठी (जावद वाले) ने कहीं।वे श्री हरि सत्संग मंडल एवं भक्तगण के तत्वाधान में गोमाबाई रोड स्थित लायन्स डेन सभागार में 11 जुलाई से 6 अगस्त तक आयोजित 27 दिवसीय संगीतमय श्री शिव महापुराण कथा एवं पर्वतीय शिवलिंग पूजन अभिषेक एवं रुद्राक्ष वितरण कार्यक्रम में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि धरती पर कण-कण में कंकर कंकर शंकर है। नारायण नाग सर्प बनकर शंकर भगवान के गले में आए हैं ताकि उनके पैर शंकर भगवान को नहीं लगे, भगवान नारायण के मंदिर नगर के मध्य स्थापित होते हैं। शंकर भगवान की दृष्टि मात्र से ही कल्याण हो सकता है। मंदिर के गर्भ ग्रह में शुद्ध और पवित्र होने के बाद ही दर्शन और पूजा करने जा सकते हैं। मंदिर की पवित्रता बनाए रखना आवश्यक है। शंकर भगवान संहार में भी संदेश देते हैं। शंकर भगवान शमशान के वासी है। श्मशान की चीता की भस्म शंकर भगवान लगाते हैं। शंकर भगवान के भक्त को 4 व्यक्ति उठाकर लाते हैं। शंकर भगवान काशी में मुर्दे को भी मुक्ति प्रदान कर देते हैं। भगवान के स्पर्श से ही जीव का कल्याण हो जाता है। शिव महापुराण कथा श्रवण करने के विभिन्न विधान होते हैं। कथा श्रवण करते समय मस्तक पर पगड़ी नहीं होनी चाहिए। शिव महापुराण भगवान का वांग्मय स्वरूप है। बिना प्रणाम किये कथा श्रवण नहीं करना चाहिए। कथा में विध्न उत्पन्न करने वाले सूअर की योनि में जन्म लेते हैं। धर्म का शुभारंभ गंगा जमुना सरस्वती के त्रिवेणी संगम प्रयागराज से हुआ है। गंगा को अध्यात्म में ज्ञान, यमुना में भक्ति हिलोरें लेती है, सरस्वती को अध्यात्म में बुद्धि की संज्ञा दी गई है। ज्ञान बुद्धि और भक्ति का संगम होता है वहां त्रिवेणी प्रयागराज होता है। प्राचीन महापुराण शिव पुराण में 1लाख श्लोक समाहित है। इसमें मात्र एकादश, कैलाश, रुद्रिय शताब्दी रुद्र सहस्त्र, कोटिरुद्र,सहस्त्र कोठी, वायवी संहिता व धर्म संहिता सहित 12 संहिता होती है। 24हजार श्लोक विद्यमान है। गौ माता गोमूत्र पवित्र होता है। सत्य परेशान हो सकता है लेकिन पराजित नहीं होता है। ब्रह्मा का मस्तक बद्रीनाथ में गिरा इसलिए ब्रह्म कपाल कहते हैं। पितृ दोष का निवारण वहां आज भी होता है। ब्राह्मण हवन करें अग्नि देव गुरु शिष्य पति पत्नी के मध्य में नहीं निकलना चाहिए। यदि निकलते हैं तो हमारे पुण्य नष्ट हो जाते हैं। शंकर भगवान के आशीर्वाद से ही नारायण ने 24 अवतार लिए हैं।पुरे विश्व में ब्रह्मा जी का एक ही मंदिर पुष्कर तीर्थ में पुजन होता है। पांचवा कर्म मोक्ष शंकर भगवान के पास ही रहता है जो उनकी भक्ति से प्राप्त होता है। ओम शब्द का जाप करने से अनेक रोग ठीक हो जाते हैं। वेद पुराण और शास्त्रों में लिखे उपदेशों का जीवन में आत्मसात करें तो आत्मा का कल्याण हो जाता है।
कथा में विभिन्न भजन प्रस्तुत किए गए जिस पर श्रद्धालुओं ने भक्ति नृत्य किया।शिव महापुराण पोथी पूजन आरती में
बीएल धनोतिया, मुकेश पोरवाल ,डॉक्टर दीपक सिंहल, दिलिप दुबे, शांतिलाल गुप्ता, प्रकाश मंडवारिया, दिनेश लढा,
जगदीश माहेश्वरी, विजय जोशी, योगेश ओझा, कमल उपाध्याय, गोपाल व्यास ,एनके सोनार , रामनिवास कदवा, मधु शर्मा, मीना धनोतिया, चंद्रकांता दानगढ़ ,जगदीश व्यास, अरविंद व्यास, सत्यनारायण माहेश्वरी, मातृशक्ति पुरुष आदि बड़ी संख्या में श्रद्धालु भक्त उपस्थित थे। आरती के बाद प्रसाद वितरण किया गया। कार्यक्रम की श्रृंखला में सुबह 8 से 8:30 बजे तक वेद पाठ, 9 से 10 बजे तक हवन ,दोपहर 1 से 3 बजे शिव पुराण कथा, 3 से 4:30 बजे तक 27हजार रुद्राक्ष शिवलिंग पूजन अभिषेक, सोमवार नागपंचमी, प्रदोष, हरियाली अमावस्या पर पार्थिव पूजन अभिषेक,सवालाख महामृत्युंजय मंत्र जाप, काल सर्प पूजन हवन शांति सहित विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान आयोजित किए जा रहे हैं।