भक्ति में टीक गए तो तर जाओंगे, त्याग की भावना को समझे - पं. शास्त्री, कनावटी में आयोजित कथा के चौथे दिन धार्मिक प्रसंगों से गृहस्थ जीवन के कई पहलुओं पर प्रकाश डाला....
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अर्जुन जयसवाल नीमच
Updated : August 21, 2025 03:40 PM

नीमच। त्याग की भावना की समझना होगा। भाव और श्रद्धा से अपने शब्दों को प्रेषित करे। क्यों की भगवान के लिए राग कैसी भी हो वो सिर्फ अनुराग देखते है। अर्थ मालूम पड़ जाए तो आनंद की अनुभति अधिक होती है। भक्ति में टिक गए तो तर जाओगे। जीवन मे भागम भाग को छोड़ दीजिए। समय के मामले में इंसान बहुत बड़ा चोर हो गया। पहले से वतमान में बहुत सुविधा आ गई है फिर भी समय नही है। हर चीज में तररकी कर ली लेकिन भगवान के लिए समय नही है। यह बात पं. भीमाशंकर शास्त्री ने कही। वे कनावटी में समस्त ग्राम वासियों द्वारा श्रेष्ठा पेराडाइस रिसोर्ट में भागवत कथा के चौथे दिन प्रवचन में बोल रहे थे। उन्होंने विभिन्न धार्मिक प्रसंगों के माध्यम से जीवन से जुड़े कई पहलुओं पर विस्तार से प्रकाश डाला। इस दौरान उन्होंने कहा पति सेवा करो यही पत्नी का सबसे बडा धर्म है। क्योंकि इनको प्रश्मेश्वर माना है। महान पतिव्रता बनो। गंगा से पवित्र क्षति नारी को माना गया है। मांग का बहुत महत्व हैं, ये पति की लम्बी उम्र की लिए बनती है। उन्होंने 5 महिलाओं को अखंड सौभाग्य का आर्शीवाद दिया जिन्होंने कथा स्थल पर सबके सामने अपने पति के चरण स्पर्श कर प्रमाण किया और वह रोजाना उसका पालन करेगी। वहीं कथा आदेश करती हैं नारी का सम्मान करना चाहिए। पति के कर्म भी अच्छे होना चाहिए। आज संस्कृति में पत्नी कों बहुत प्रताडना मिलती है। उन्होंने पति-पत्नी में प्रेम बढाने के लिए धार्मिक उपाय भी बताए साथ ही कहा कि शांति के बिना भजन करने बैठ गए तो फिर कोई पुण्य प्राप्त नही होगा। जिसका जीवन में गुरु नही तो उसका जीवन शुरू नही। भगवान की छवि देखकर जप करेंगे तो पूरा प्रतिफ़ल प्राप्त करेंगे। कथा रोजाना दोपहर 12.15 बजे से शाम 4 बजे तक हो रही है। जिसे श्रवण करने बड़ी संख्या में श्रद्धालु उमड़ रहे है।किसानों से किया आधुनिक खेती का आव्हान- पं. शास्त्री ने किसानों से आव्हान किया कि पारम्परिक खेती के बजाए आधुनिक खेती करें उसमें ज्यादा सफलता मिलेगी। किसान अपनी फसल का मूल्य निर्धारण नहीं कर सकते है । इस क्षेत्र में नीमच बहुत आगे है। यहां ओषधि भी बहुत बिकती है। आज का किसान समृद्धि की तरफ बढ़ रहा है।