मिच्छामि दुक्कड़म कहकर मांगी एक दूसरे से क्षमा, क्षमापना के साथ श्वेतांबर जैन समाज के पर्युषण पर्व का समापन...
धार्मिक

दशरथ माली चिताखेड़ा
Updated : August 27, 2025 04:15 PM

चीताखेड़ा । श्वेतांबर जैन धर्म का सबसे पवित्र आध्यात्मिक पर्वों के राजा पर्वाधिराज पर्यूषण का समापन बुधवार को क्षमापना के साथ किया गया। जैन समाज के धर्मावलंबियों ने मन, वचन व काया से जाने अनजाने में जीव मात्र को पहुंची पीड़ा त्रुटि के लिए मिच्छामि दुक्कड़म कह कर क्षमा याचना की। महासंवत्सरी पर्व समस्त जीव दया और पवित्र दिन है। जाने -अनजाने में जो भूल या गलतियां हुई है, उन पर आत्मचिंतन करने का दिन है। कल्पसूत्र ग्रंथ के वाचन का समापन बुधवार दोपहर में सुश्रावकों ने किया। इसमें ज्ञान की पूजा एवं मंदिर में होने वाली अष्ट प्रकारी पूजा चढ़ावे बोले गए. इस अवसर पर श्वेतांबर जैन समाज के पर्युषण पर्व के अंतिम आठवें दिवस क्षमा याचना दिवस साधक साधिकाओं ने एक-दूसरे को मिच्छामि दुक्कड़म कहा और अपने से जाने अनजाने में हुई भूल के लिए प्रेषित कर क्षमा मांगी। संवत्सरी पर्युषण महापर्व विभिन्न साधना आराधना एवं तपस्याओं के साथ संपन्न हुआ।