जीवदया में करोड़ो का फंड होने के बावजूद भी अबोल जीव तकलीफ़ में क्यों? - हार्दिक हुंडिया, जीवदया का हुआ शंखनाद, अबोल जीवों की हिंसा रोकने का महायज्ञ....
सामाजिक

विनोद सांवला जीरन हरवार
Updated : July 14, 2025 06:34 PM

मुम्बई । ओल इन्डिया जैन जर्नालिस्ट ऐशोशियेशन (आईजा) के राष्ट्रीय संस्थापक अध्यक्ष हार्दिक हुंडीया के नेतृत्व में चलो कुछ नया करें.....वो अबोला में बोला जीवदया का कार्यक्रम आयोजित किया गया । इस कार्यक्रम के संयोजक हार्दिक हुंडीया ने मराठी भाषा में पधारे जीवदया प्रेमी महानुभावों का स्वागत करते हुए कहा की माझे प्रिय जीवदया प्रेमीनो, महाराष्ट्रच्या या पवित्र्य भुमिवर मी हार्दिक हुंडिया, मुंबई मध्ये तुमच्या सर्वांचे मनापासून स्वागत करतो।वो अबोल , हम बोले जीवों के लिए कब बोले? दिनांक १३-७ को मुंबई में हुए तीन आत्मधाती बोंब विस्फोट की बरसी पर मृतात्माओं को एक मीनीट के मौन के साथ श्रद्धांजलि अर्पित की गई। मुंबई के अंधेरी पश्चिम में स्थित नवनीत गुजराती समाज हॉल, "वो अबोले हम बोले" जीवदया चर्चा परिषद के लिए पशु कल्याण कार्यकर्ताओं और गौरक्षकों के उत्साह से गूँज उठा था। ऑल इंडिया जैन जर्नालिस्ट ऐशोशियेशन के अध्यक्ष हार्दिक हुंडिया के नेतृत्व में आयोजित इस कार्यक्रम में उन व्यक्तियों का जमावड़ा लगा था जिन्होंने बेज़ुबान जानवरों की सुरक्षा के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया है । यह परिषद साहस और समर्पण की प्रेरणादायक कहानियों को साझा करने के लिए एक शक्तिशाली मंच बना। असंख्य पशु कल्याण कार्यकर्ताओं ने बूचड़खानों में जाने वाले बेसहारा जानवरों को बचाने के लिए अपनी जान जोखिम में डालकर किए गए प्रयासों के अनुभव बताए । उनकी कहानियों ने जानवरों के जीवन को बचाने के लिए आवश्यक विशाल चुनौतियों और अटूट प्रतिबद्धता को उजागर किया, उपस्थित वक्ताओं में, डीसा से पधारे वरिष्ठ अधिवक्ता धर्मेंद्र फोफाणी ने अमूल्य जानकारी दी कि कैसे उन्होंने गुजरात में एक भी रुपया खर्च किए बिना अवैध बूचड़खानों को बंद करवाया। उनके विस्तृत विवरण ने पशु क्रूरता के मामलों में प्रभावी कानूनी हस्तक्षेप के लिए एक मार्गदर्शिका प्रदान की। धानेरा से आये जीवदया प्रेमी पारसभाई सोनी ने ६,००० कछुओं को कैसे बचाया, इसकी अविश्वसनीय कहानी सुनाकर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। उनके प्रयासों ने दिखाया कि कितने विविध प्रकार के जानवरों को सुरक्षा की आवश्यकता है , और समर्पित व्यक्ति कितना उल्लेखनीय प्रभाव डाल सकते हैं। हाल ही में मुंबई में तोड़े जा रहे कबूतरखानों को बचाने के लिए कड़ी मेहनत कर रही स्नेहा विसारिया और उनकी टीम ने भी अपने चल रहे संघर्ष और प्रयासों के बारे में जानकारी दी। उनके सीधे अनुभवों ने शहरी पशु बचावकर्ताओं को होने वाली कठिनाइयों और समुदाय के समर्थन की तत्काल आवश्यकता पर प्रकाश डाला। इस परिषद ने चीखली के महावीर श्रीश्रीमाल के अनुकरणीय कार्य को भी सराहा,कई बार महावीर श्रीश्रीमाल ने अपने जान की भी परवाह ना करते हुए अबोल जीवों की रक्षा की है। जिन्होंने अपनी जान जोखिम में डालकर दिन-रात देखे बिना हजारों निर्दोष अबोल जीवों को मौत के मुँह से बचाया है। उनका निःस्वार्थ समर्पण सभी उपस्थित लोगों के लिए एक शक्तिशाली प्रेरणा बना। इसके अतिरिक्त, भाविन गठाणी द्वारा किए गए जीवदया के सुंदर सराहनीय कार्य की भी सराहना की गई, जिसने पशु कल्याण के उद्देश्य के प्रति सामूहिक प्रतिबद्धता पर और जोर दिया।आगे हार्दिक हुंडिया ने पशु सुरक्षा में साझा प्रयासों के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने जमीनी स्तर पर कार्यरत व्यक्तियों और संगठनों के जबरदस्त योगदान पर प्रकाश डाला, कई लोगों को पशु कल्याण आंदोलन में शामिल होने के लिए प्रेरित किया और पशु क्रूरता के खिलाफ निरंतर सतर्कता की आवश्यकता को उजागर किया। सामाजिक कार्यकर्ता वसंत गलिया ने अपने अनुभवों को साझा करते हुए कहा की उन्होंने शहर में पिंजरे में बंद छोटे तोते और लवबर्ड पंछीओं को इस तरह कैद करके बेचने वालों पर अंकुश लगाकर कार्रवाई करके वो काम बंद करवाया और अभी तक वे जीवदया की सेवा में अविरत कार्य कर रहे हैं।ओल इन्डिया जैन जर्नालिस्ट ऐशोशियेशन के राष्ट्रीय संस्थापक अध्यक्ष हार्दिक हुंडिया के नेतृत्व में जीवदया चर्चा परिषद का आयोजन का मुख्य उद्देश्य जीवदया के नाम पर हो रहे धंधे को बंध करना, अबोल जीवों की हिंसा रोकना और सबसे मुख्य मुद्दा भारत देश में संदतर मांसाहार बंद कराने के लिए यह चर्चा परीषद का आयोजन किया गया। जीवदया के कार्य में उत्साही लोगों के सहयोगात्मक प्रयासों से हजारों अबोल जीवों की जान बचाई गई है। नवनीत गुजराती समाज हॉल में *वो अबोले हम बोले* जीवदया चर्चा परिषद के लिए पशु कल्याण कार्यकर्ताओं और गौरक्षकों के उत्साह से गुलज़ार था। हार्दिक हुंडिया के नेतृत्व में आयोजित इस कार्यक्रम में वे लोग एकत्रित हुए जिन्होंने बेजुबान जानवरों की सुरक्षा के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया है। यह सम्मेलन साहस और समर्पण की प्रेरक कहानियों को साझा करने का एक सशक्त मंच बन गया। कई पशु कल्याण कार्यकर्ताओं ने बूचड़खानों में जाते हुए असहाय जानवरों को बचाने के लिए अपनी जान जोखिम में डालने के अपने अनुभव साझा किए। उनकी कहानियों ने जानवरों की जान बचाने के लिए आवश्यक भारी चुनौतियों और दृढ़ प्रतिबद्धता को उजागर किया।